आभास का १८ वाँ और दैवित का पहला जन्मदिन
मेरे घर के आँगन में दो पोधे बड़े हो रहे हे।
देखों आज दोनो पे एक एक फूल आया हे।
एक का नाम आभास हे जिसका कद थोड़ा बड़ा हे,
लगता हे की अपने आप से ही बढ़ा हे।
पिछले १८ बरसों से पता ही नहीं चला कि घर के आँगन में कहा खड़ा हे।
एक जो अभी एक बरस पहले ही जन्मा हे
उसका नाम दैवित हे वो अभी भी चलने ओर बोलने नहीं लगा हे ।।
ओने पोने इशारे करता हे और खिल खिला कर हँस देता हे , उसके मन का नहीं होता हे तो बस रो पड़ता हे और अपनी बात समझा देता हे ।।
हमारे घर के आँगन में दो पोधे बड़े हो रहे हे।
एक की जड़े मज़बूत , तना घना ओर शाख़ें आसमान से बातें करती हे ।
ओर दूसरा अपनी रेशमी जड़ों से हम सबको बांधे रखता हे, अपनी छोटी छोटी कुहनियों के बल ऊँचे ऊँचे पायदान चढने की कोशिश में लगा रहता हे !
मेरे घर के आँगन में दो पोधे बड़े हो रहे हे।
एक चाँद पे पहुँचने की कोशिश में हे तो दूसरा चाँद को बॉल समझ के लपक लेने की फ़िराक़ में हे !
एक अपनी ख़ुशबू से अपने दोस्तों की दुनिया को महकाता हे तो दूसरा अपनी कोमल कलियों से हमें सहलाता हे ।।
अजब हे तेरी लीला प्रभु जिस सुख की हमने कल्पना भी नहीं की थी उसकी परिणति तुने हमारे जीवन में की हे ।।
हमारे घर के आँगन में दो पोधे अब शायद पेड़ बन रहे हे।।

Kunal Jain View All →
Made in India, Serving Humanity, Living in Safety Harbor Florida, USA. Healthcare Entrepreneur. Author ”A Philanthropist Without Money” Driven by an inherent desire for knowledge and creative thinking, I harnessed my “Mid Life” energies to becoming a student again, challenging myself to take an executive course in ‘Global Healthcare Innovation’ from Harvard Business School and a Master’s degree in Entrepreneurship from the University of South Florida. Not satisfied with personal success alone, now I’m on a mission to help other aspiring entrepreneurs through mentoring, nurturing, raising funding, and connecting people with more possibilities.
Nice
LikeLike