माँ का जन्मदिन और उसकी याद में एक पत्र 2022

माँ यहाँ परदेस में तू मुझे बहुत याद आती हे। मुझे पता हे कि phone पे तुझे रोज़ देख पाता हूँ और सुन भी सकता हूँ, लेकिन तुझे महसूस नहीं कर सकता। तेरी पीढ़ा को देख तो पाता हूँ लेकिन उसे हर नहीं कर सकता हूँ। इसी लाचारी में सोचा की शायद एक पत्र लिख कर तुझे जन्मदिन की शुभकामनाएँ प्रेषित करूँ। आज कल पत्र लिखने की परम्परा हमारी दिनचर्या का हिस्सा नहीं रही इसलिए शब्द ढूँढने में तकलीफ़ हो रही थी। मुझे याद हे कि कई बरस पहले मेने पिताजी को एक पत्र लिखा था, उसकी copy अभी में मेरे पास पड़ी हे। वो मेरे जीवन की सबसे बड़ी सन्निधि हे ।

My mother visiting me here in safety harbor

में कभी अपने जीवन के पार्श्व में जाता हूँ तो तेरा कठिनाइयों से भरा वो जीवन नज़र आता हे जिसकी भनक भी तूने हमें नहीं लगने दी। हम शायद बहुत भाग्यशाली हे की हमें इस जीवन में उन कष्टों से नहीं गुजरना पड़ा जिनके छाले तेरे जीवन में शायद अभी भी मौजूद हे। शरीर में किसी भी बीमारी का होना अपने आप में बहुत बड़ा कष्ट हे , तूने उन सभी कष्टों को क़ैसे अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से पार पाया हुआ हे , यह अपने आप में अद्भुत हे।

हम थोड़ी सी खांसी ज़ुकाम हो जाति हे तो विचलित हो जाते हे । तू पिछले कई बरसो से विभिन्न तरह की व्याधियों से जूझ रही हे जिनका इलाज भी क़रीब क़रीब असम्भव लगता हे । मुझे कई बार ऐसा लगता हे की इन सभी बीमारियों की जड़ में कही ने कही वो कठिनाइयों भरा जीवन हे जो तूने हमारे लिए जिया हे ओर बदले में अपने शरीर को क़ुर्बान किया हे। अपना ध्यान बिलकुल नहीं रखा।

एक बात इन सब में अच्छी हुई हे की तूने ज़िंदगी के शायद वो सभी पड़ाव देखे हे जो हम यह हमारे आनी वाली नस्लें नहीं देख पाएँगी। ध्यान हे वो काला telephone जिसमे डायल करने के लिए उँगलियाँ घुमानी पड़ती थी और वो ब्लैक एंड वाइट TV जिसमें सिर्फ़ समाचार चलते थे। आज आइफ़ोन ओर WhatsApp का ज़माना हे। तुझे सब पता हे, तूने सब सीख लिया, तकनीकी के मामले में कोई तुझे नहीं पछाड़ सकता।

कई बार मन में विचार आता हे की परदेस को त्याग कर अपने देश वापिस आ जाऊँ। शायद अपनी दोनो माँ ओं का क़र्ज़ उतारने का मौक़ा मिल जाएगा। फिर आज के हालात देखता हूँ तो मन काँप जाता हे, यह देख कर की जिस देश में हर कोई अपने मन की कह रहा हे और कर भी रहा हे वहाँ अब में अपने मन की कर पाऊँगा की नहीं। मेरा मन और विचार अब उस देश के लिए समर्पित हो चुका हे जहाँ व्यक्तिगत स्वतंत्रता का महत्व बहुत हे। में कोशिश करता रहता हूँ की इस सोच से बाहर निकलु लेकिन बहुत कठिन प्रतीत होता हे । इंसान को जब बहुत ज़्यादा आराम की ज़िंदगी में जीने कि आदत लग जाती हे तो उसका अभावों के प्रति लगाव नहीं रहता। उसको लगता हे कि जीवन में इतनी मेहनत क्यूँ की अगर वापिस उन्ही अभावों की तरफ़ लौटना था तो ?

तेरा हर जन्मदिन मुझे इस बात का अहसास दिलाता हे की सचमुच में शरीर नश्वर हे और मन ही ईश्वर हे। जिन अभावों से उठ कर तूने हमारे लिए नए आयाम खोले वो शायद हम किसी और के लिए नहीं कर पाएँगे। विपरीत परिस्थितियों में शक्तिसंपन्न रहना इंसान का सबसे बड़ा गुण होता हे और उसके लिए किसी पढ़ाई लिखाई की ज़रूरत नहीं होती । तूने इस गुण को कई बार साकार किया हे । हम आज जिस इच्छाशक्ति के स्वामी होने का दम्भ भरते हे उसकी जड़ों को तूने सींचा हे ।कई बार ऐसा हुआ हे की हम इस अहंकार ओर दम्भ में बहुत कुछ कह जाते हे लेकिन बाद में पछतावा होता हे। तूने हर बार माँ का कर्तव्य निभाया ओर हमें माफ़ कर दिया। यह असली शक्ति हे जो सिर्फ़ एक माँ में स्फुटित होती हे ओर इसका स्त्रोत भी माँ के हृदय से निकलता हे ।

आज में जो कुछ भी यहाँ लिख रहा हूँ यह शायद कभी तुझसे कह नहीं पाया और हिम्मत ही नहीं हुई । कई बार सोचा की कह दूँ लेकिन शायद शब्दों से ज़्यादा हिम्मत की कमी रही।

अच्छा हुआ आज यह ख़याल आया की तुझे पत्र लिखूँ और लिख भी दिया।

जन्मदिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएँ।

तेरा बेटा

कुणाल

Hindi poetry

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Made in India, Serving Humanity, Living in Safety Harbor Florida, USA. Healthcare Entrepreneur. Author ”A Philanthropist Without Money” Driven by an inherent desire for knowledge and creative thinking, I harnessed my “Mid Life” energies to becoming a student again, challenging myself to take an executive course in ‘Global Healthcare Innovation’ from Harvard Business School and a Master’s degree in Entrepreneurship from the University of South Florida. Not satisfied with personal success alone, now I’m on a mission to help other aspiring entrepreneurs through mentoring, nurturing, raising funding, and connecting people with more possibilities.

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