Category: Hindi poetry

मेरा वो मकान

Originally posted on Baithak (Living Concert):
कुछ दिन हुए मुझे सपने में मेरा वो मकान दिखाई दिया, जिसमें कभी मेने वो बचपन गुज़ारा था जिसका जिकरा मेने शायद आज तक किसे से नहीं किया । उस मकान की ऊपर वाली मंज़िल पर अब कोई नहीं रहता । माँ से बात हुई तो बोली अब मुझमें…

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सन्नाटा छाया है , घौर सन्नाटा छाया है। कोरोना आया है ।।

कोरोना के आतंक से चारों और मौत का साया है।
सुनी गलियाँ, बंद दुकाने और घर के दरवाज़े,
सन्नाटा छाया है , घौर सन्नाटा छाया है।
By Kunal Jain

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All That Corona Has Changed in me? कोरोना ने कितना कुछ बदल दिया है?

पहले हम वॉक करते थे तो शायद यह भी नहीं देखते थे की साथ में कौन चल रहा है ? हाथ में फ़ोन और उँगलिया स्क्रीन पर नाचती रहती थी, मन किसी और के बारे में सोचता रहता था। अब सब कुछ बदला बदला नज़र आता है, साथ में कौन चल रहा है इस बात की फ़िकर होने लगी है!..........

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एक नन्ही निर्भया मेरे आँगन में……. A little…..

एक नन्ही निर्भया हवा के परों पे चलकर हमारे आँगन में उतर आती है कहा से तू आयी, क्यूँ तू आयी, यह नहीं बतलाती है। मेरे घर की दहलीज़ के अंदर बाहर, गिलहरी सी फुदकती रहती है । अपनी चुलबुली मुस्कराहट से सबको गुदगुदाती रहती है । Noodles और maggi के भरोसे ज़िंदा रहती है।…

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A poem on a peon! छोटू के नाम!

Original in Hindi बीस बरस पुरानी इस तस्वीर से कई किरदार ज़हन में यकायक उबर कर सामने आ खड़े हुए। एक नाम था छोटू या अंग्रेज़ी में कहे तो canteen boy। छोटू वो शख़्स था जिसकी भोली शक्ल, पसरी हुई हंसी और कमाल की फुर्ती हमें उसका सबसे बड़ा फ़ैन बनाती थी। कोई कहता छोटू…

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मेरा वो मकान रोज़ कई सवाल करता है!

कुछ दिन हुए मुझे सपने में मेरा वो मकान दिखाई दिया,जिसमें कभी मेने वो बचपन गुज़ारा था। जिसका जिकरा मेने शायद आज तक किसे से नहीं किया। उस मकान की ऊपर वाली मंज़िल पर अब कोई नहीं रहता ।                       माँ से बात हुई तो…

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