Category: Hindi poetry

जय हिन्द !

देशप्रेम का जज़्बा सोने नहीं दे रहा हैं । आज तो टीवी इलेक्शन के नतीजों वाले दिनों  से भी ज़्यादा मनोरंजन दे रहा हैं ।  पाकिस्तान तो शायद सुबह नहीं देख पाए  हिंदुस्तानी होने पे  आज गर्व हो रहा हे । पूरी रात सिर्फ़ जन गण मन गाने का मन हो रहा हैं । जय…

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पहलगाम २३ अप्रैल २०२५

वो कहते हैं — “नारा-ए-तकबीर!” हम कहते हैं — “यह नहीं, हमारी तक़दीर!” तुम बारूद से इश्क़ करना सीख गए हो शायद, वरना खुदा कभी न कहता — “यह है तुम्हारी तदबीर।” कुणाल

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आभास “हर वो एहसास जो अब भी ज़िंदा है”

में कोई कवि नहीं और शायर तो बिलकुल भी नहीं हूँ। जबसे सोचना शुरू किया तबसे मन में सवाल बहुत उबलते थे लेकिन उनके जवाब नहीं मिल पाते थे।
बस जीवन में जब से जवाब मिलने शुरू हुए तब से उनको लिखना शुरू कर दिया। समय, स्थान और सीमा का ध्यान नहीं रखा।
वही पेश कर रहा हूँ इस किताब में।

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देश की प्याऊँ और बचपन की याद।

अपने देश की मिट्टी, पानी और हवा में मिलावट हो ही नहीं सकती। प्याऊँ इन तीनों तत्वों का अभिन्न संगम होता है। बचपन की एक याद ताजा हो गई।

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वो जो एक घर हुआ करता था ।

वो जो एक घर हुआ करता था । कहने को विदेश में था लेकिन विशेष था  जब ख़रीदा था बड़ा महँगा लगता था जब उसमें रहने लगे तो बस अपना लगता था। घुसते ही ऐसे बाहों में भरता था जैसे माँ ने गले से लगा लिया हो।  उसके चारों कोनों में, अलग अलग कुछ यादे…

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