आभास “हर वो एहसास जो अब भी ज़िंदा है”
में कोई कवि नहीं और शायर तो बिलकुल भी नहीं हूँ। जबसे सोचना शुरू किया तबसे मन में सवाल बहुत उबलते थे लेकिन उनके जवाब नहीं मिल पाते थे।
बस जीवन में जब से जवाब मिलने शुरू हुए तब से उनको लिखना शुरू कर दिया। समय, स्थान और सीमा का ध्यान नहीं रखा।
वही पेश कर रहा हूँ इस किताब में।