Today, I am back from my home country!
A poem after returning back from my motherland india in corona times.
A poem after returning back from my motherland india in corona times.
आज में फिर अपने देश हो आया हुँ।।कोरोना काल में भी अपनी मिट्टी से ख़ुशबू ले आया हुँ।।ना जाने इस मिट्टी में कितने दिन खेले थे।हर दिन का आज में हिसाब कर आया हुँआज में फिर अपने देश हो आया हुँ।। उस ने कहा मत जाओ।। कुछ ने कहा रुक जाओ।अभी कोरोना का ख़तरा टला…
Hindi Poem Yeh Darıya by Kunal Jain.
यह दरिया मेरा दोस्त है ,
मुझसे रोज़ रोज़ बात करता है।
में जब कभी अंदर से दहलता हूँ
तो यह मुझे शांत करता है।
मैं इस शहर में एक नए शहर को बसते हुए देख रहा हूँ।।I see A new town is nestling into my town!
My Mother’s Day poem in Hindi dedicated to my mother !
Originally posted on Baithak (Living Concert) by Kunal Jain:
कुछ दिन हुए मुझे सपने में मेरा वो मकान दिखाई दिया, जिसमें कभी मेने वो बचपन गुज़ारा था जिसका जिकरा मेने शायद आज तक किसे से नहीं किया । उस मकान की ऊपर वाली मंज़िल पर अब कोई नहीं रहता । माँ से बात हुई तो…
धूल धुआँ और शोर अब सब थम चुका है।।
हिन्दुस्तान का हर प्राणी अब समझ चुका है|
कोरोना के आतंक से चारों और मौत का साया है।
सुनी गलियाँ, बंद दुकाने और घर के दरवाज़े,
सन्नाटा छाया है , घौर सन्नाटा छाया है।
By Kunal Jain
Read more सन्नाटा छाया है , घौर सन्नाटा छाया है। कोरोना आया है ।।
पहले हम वॉक करते थे तो शायद यह भी नहीं देखते थे की साथ में कौन चल रहा है ? हाथ में फ़ोन और उँगलिया स्क्रीन पर नाचती रहती थी, मन किसी और के बारे में सोचता रहता था। अब सब कुछ बदला बदला नज़र आता है, साथ में कौन चल रहा है इस बात की फ़िकर होने लगी है!..........
Read more All That Corona Has Changed in me? कोरोना ने कितना कुछ बदल दिया है?
एक नन्ही निर्भया हवा के परों पे चलकर हमारे आँगन में उतर आती है कहा से तू आयी, क्यूँ तू आयी, यह नहीं बतलाती है। मेरे घर की दहलीज़ के अंदर बाहर, गिलहरी सी फुदकती रहती है । अपनी चुलबुली मुस्कराहट से सबको गुदगुदाती रहती है । Noodles और maggi के भरोसे ज़िंदा रहती है।…